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थायरायड आज एक व्यापक समस्या बन गई है। एक स्टडी के मुताबिक, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में थायराइड विकार दस गुना ज्यादा होता है। इसका मुख्य कारण महिलाओं में ऑटोम्यून्यून की समस्या ज्यादा होना है। आयुर्वेद के अनुसार, वात, पित्त व कफ के असंतुलन के कारण थायरॉइड संबंधित रोग होता है। जब शरीर में वात एवं कफ दोष हो जाता है तब व्यक्ति को थायरॉइड होता है। आप थायराइड का इलाज करने के लिये आयुर्वेदिक तरीकों को आजमा सकते हैं। आयुर्वेदीय उपचार द्वारा वात और कफ दोषों को सन्तुलित किया जाता है।  Thyroid ग्रन्थि Tri–iodothyronin (T3) और Thyrocalcitonin (T4) नामक हार्मोन स्रावित करती है। ये हार्मोन शरीर के चयापचय दर और अन्य विकास तंत्रों को प्रभावित करते हैं। Thyroid harmone हमारे शरीर की सभी प्रक्रियाओं की गति को नियंत्रित करता है।

थायरॉइड हार्मोन का काम (Works of Thyroid)

हमारे शरीर को थायरॉइड से ये फायदे होते हैं-

  • थायरोक्सिन (Thyroxine) हार्मोन वसा, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट के चयापचय को नियंत्रित रखता है।
  • यह रक्त में चीनी, कोलेस्ट्रॉल (Cholestrol) तथा फोस्फोलिपिड की मात्रा को कम करता है।
  • यह हड्डियों, पेशियों, लैंगिक तथा मानसिक वृद्धि को नियंत्रित करता है।
  • हृदयगति एवं रक्तचाप को नियंत्रित रखता है।
  • महिलाओं में दुग्धस्राव को बढ़ाता है।

थायरॉइड के प्रकार (Types of Thyroid)

थायराइड दो प्रकार का होता है।

  1. थायरॉइड ग्रंथि की अतिसक्रियता (Hyperthyroidism) और
  2. थायरॉइड ग्रंथि की अल्पसक्रियता (Hypothyroidism)

थायराइड के लक्षण

थायरॉइड ग्रंथि की अतिसक्रियता (Hyperthyrodism) में T4 और T3 harmone  का आवश्यकता से अधिक उत्पादन होने लगता है। जब इन हार्मोन्स का उत्पादन अधिक मात्रा में होने लगता है तो शरीर ऊर्जा का उपयोग अधिक मात्रा में करने लगता है। पुरुषों की तुलना महिलाओं में यह समस्या अधिक देखी जाती है। इसके लक्षणों में घबराहट, चिड़चिड़ापन, अधिक पसीना आना, हाथों का काँपना, अनिद्रा (नींद ना आने की परेशानी), दिल की धड़कन बढ़ना, बहुत भूख लगने के बाद भी वजन घटना, हड्डी में कैल्शियम (Calcium) तेजी से खत्म होना, बालों का पतला होना एवं झड़ना, मांसपेशियों में कमजोरी एवं दर्द, महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता आदि देखे जाते हैं।

थायराइड ग्रंथि की अल्प सक्रियता (Hypothyroidism) में T4 और T3 harmone  का आवश्यकता से कम उत्पादन होता है। Thyroid harmone का उत्पादन कम होने के कारण धड़कन की धीमी गति, हमेशा थकान बना रहना, अवसाद (डिप्रेशन), सर्दी के प्रति अधिक संवेदनशील होना, मेटाबोलिज्म धीमा पड़ने के कारण वजन बढ़ना, नाखूनों का पतला होना एवं टूटना, पसीने में कमी, त्वचा में सूखापन आना और खुजली होना, जोड़ों में दर्द और मांसपेशियों में अकड़न होना, बालों का अधिक झड़ना, कब्ज, आँखों में सूजन, बार-बार भूलना, कन्फ्यूज रहना, सोचने-समझने में असमर्थ होना, मासिक धर्म में अनियमितता होना जैसे 28 दिन की साइकिल का 40 दिन या इससे अधिक दिन का होना, खून में कोलेस्ट्रॉल (Cholestrol) का स्तर बढ़ जाना, महिलाओं में इसके कारण बांझपन आ सकता है, ठंड, सूखी त्वचा, बालों में रूखापन आदि लक्षण दिखाई देते हैं।

हाइपोथायरॉइड रोग होने के मुख्य कारण

थायरॉइड ग्रंथि में सूजन, आयोडीन की कमी, ग्रेव्स रोग (इस रोग में शरीर की रोग प्रतिक्षा प्रणाली ऐसे एंटीबायोडिट्स (Antibodies) का उत्पादन करने लगती है जो TSH को बढ़ाती है। यह अनुवांशिक बीमारी है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है।), विटामिन बी12 की कमी, अधिक तनावपूर्ण जीवन जीना, भोजन में सोया उत्पादों का अधिक इस्तेमाल आदि के कारण हाइपोथायरॉइड हो सकता है।

हाइपरथायरॉइड रोग होने के मुख्य कारण

            ग्रेव्स रोग (इस रोग में शरीर की रोग प्रतिक्षा प्रणाली ऐसे एंटीबायोडिट्स (Antibodies) का उत्पादन करने लगती है जो TSH को बढ़ाती है। यह अनुवांशिक बीमारी है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है।), आयोडीन की अधिकता, थायरॉइड ग्रंथि में सूजन, अंडाशय या वृषण में ट्यूमर, थायरॉइड ग्रंथि में या पिट्यूटरी ग्रंथि में ट्यूमर, शरीर में भोजन या दवा के रूप में एक्स्ट्रा ट्रीओडोथायरोनिन (T3) लेना आदि के कारण हाइपरथायरॉइड हो सकता है।

थायरॉइड रोग के घरेलू इलाज

  1. मुलेठी का सेवन करें। मुलेठी में पाया जाने वाला प्रमुख घटक ट्रीटरपेनोइड ग्लाइसेरीथेनिक एसिड थायरॉइड कैंसर सेल्स (Thyroid Cancer Cells) को बढ़ने से रोकता है।
  2. रात को सोते समय एक चम्मच अश्वगंधा चूर्ण देशी गाय के गुनगुने दूध के साथ लें। अश्वगंधा की पत्तियों या जड़ को भी पानी में उबालकर पी सकते हैं। अश्वगंधा हार्मोन्स के असंतुलन को दूर करता है।
  3. दो चम्मच तुलसी के रस में आधा चम्मच ऐलोवेरा जूस मिला कर सेवन करें। इससे थायरॉइड रोग ठीक होता है।
  4. हरी धनिया को पीसकर एक गिलास पानी में घोल कर पिएं। इससे थायरॉइड रोग से आराम मिलेगा।
  5. प्रतिदिन एक चम्मच त्रिफला चूर्ण का सेवन करें। यह बहुत फायदेमंद होता है।
  6. प्रतिदिन दूध में हल्दी पका कर पीने से भी थायराइड का उपचार होता है।
  7. खाली पेट लौकी का जूस पीने से थायराइड रोग में उत्तम काम करता है। यह रोग को शांत करता है।
  8. आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार कांचनार, शिग्रु पत्र और पुनर्नवा इन सभी हर्ब में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है जो थायरॉइड की सूजन में आराम देती है. इसलिए अगर आप थायरॉइड से परेशान हैं तो कांचनार, शिग्रु पत्र और पुनर्नवा के काढ़े का उपयोग कर सकते हैं।
  9. अलसी के चूर्ण का उपयोग थायरॉइड की समस्या में आराम पहुंचाता है क्योंकि अलसी में पर्याप्त मात्रा में ओमेगा -3 पाया जाता है। ओमेगा-3 थायरॉइड के कार्य को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसलिए थायरॉइड के रोगियों को नियमित रूप से अलसी के चूर्ण का उपयोग करना चाहिए।
  10. नारियल के तेल का उपयोग थायरॉइड की क्रिया शीलता को बनाये रखने में मदद करता है। इसलिए थायरॉइड के रोगियों को कुकिंग ऑयल के रूप में नारियल तेल का इस्तेमाल करना चाहिए।

थायरॉइड के दौरान आपका खानपान

  1. थायरॉइड रोग में कम वसा वाले आहार का सेवन करें।
  2. ज्यादा से ज्यादा फलों एवं सब्जियों को भोजन में शामिल करें।
  3. विशेषकर हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें। इनमें उचित मात्रा में आयरन होता है, जो थायरॉइड के रोगियों के लिए फायदेमंद है।
  4. पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करें। मिनरल्स और विटामिन से युक्त भोजन लेने से थायरॉइड कन्ट्रोल करने में मदद मिलती है।
  5. हाइपोथायरॉइड में आयोडीन युक्त आहार का सेवन करें जबकि हाइपरथायरॉइड की समस्या से ग्रस्त रोगी भोजन में कम आयोडीन का उपयोग करें एवं सैंधा नमक का उपयोग करें।
  6. नट्स जैसे बादाम, काजू और सूरजमुखी के बीजों का अधिक सेवन करें। इनमें कॉपर की पर्याप्त मात्रा होती है, जो थायरॉइड में फायदेमंद होता है।
  7. थायराइड के घरेलू उपचार के अंतगर्त देशी गाय के दूध और दही का अधिक सेवन करना चाहिए।
  8. थायराइड के घरेलू इलाज के लिए आप विटामिन-ए का अधिक सेवन करें। इसके लिए आप गाजर खा सकते हैं।
  9. साबुत अनाज का सेवन करें। इसमें फाइबर, प्रोटीन और विटामिन्स भरपूर मात्रा में होते हैं।
  10. मुलेठी में मौजूद तत्व थायरॉइड ग्रन्थि को संतुलित बनाते हैं। यह थायरॉइड में कैंसर को बढ़ने से भी रोकता है।
  11. गेहूँ और ज्वार का सेवन करें।

नोटयह ब्लॉग केवल ज्ञानवर्धन के लिए है बीमारी की अधिक तीव्रता की स्थिति में चिकित्सा परामर्श अवश्य लें

थायरॉइड के रोगियों के लिए परहेज

  1. जंक फूड एवं प्रिजरवेटिव युक्त आहार को नहीं खाएं।
  2. धूम्रपान, एल्कोहल आदि नशीले पदार्थों से बचें।
  3. तनाव मुक्त जीवन जीने की कोशिश करें।
  4. ध्यान एवं योगासन करें।

विषमुक्त भारत में उपलब्ध उत्पाद जो की थायरॉइड में फायदेमंद हैं:-

  1. Vagbhatt Triphala Juice
  2. Vagbhatt Amla Juice
  3. Vagbhatt Aloevera Juice
  4. Vagbhatt Ashwagandha Churn
  5. Vagbhatt Tulsi Ark Amrat
  6. Vagbhatt Tulsi Churn
  7. Vagbhatt Nari Sudha Ark (For Ladies only)
  8. Vagbhatt Pourush Shakti Ark (For men’s only)
  9. Vagbhatt Trifala Churn
  10. Vagbhatt Flex Seeds Rostade
  11. Traditional Lakdi Ghana Pure cold pressed edible Coconut oil

Thanks

Team Vishmukt Bharat

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