खाना पकाने की सामग्री में सब्जी, पराठे, पूरी आदि बनाने में, सलाद ड्रेसिंग में, मांस और सब्जियों को मारिनेट करने में, केक, कुकीज़, और अन्य बेक्ड व्यंजनों में तेल का बहुतायत से उपयोग किया जाता है। हालाँकि कुछ लोग घी का उपयोग भी इसके लिए करते हैं किन्तु घी अपेक्षाकृत महंगा है इसलिए ज्यादातर लोग तेल का ही उपयोग करते हैं। आज इस लेख के माध्यम से हम तेल के बारे में कुछ महत्वपूर्ण फैक्टर्स जानने का प्रयास करेंगे ताकि हम अपने लिए तेल का चयन बुद्धिमानी से कर सकें। सामान्यतः निम्न प्रकार के तेल चलन में हैं:-
- प्रेस्ड तेल: इसे तिल, सरसों, या अन्य बीजों से निकाला जाता है।
- एक्सट्रैक्टेड तेल: इसे रासायनिक प्रक्रिया द्वारा निकाला जाता है।
- ब्लेंडेड तेल: इसमें विभिन्न तेलों का मिश्रण होता है।
- ऑर्गेनिक तेल: इसमें किसी भी रासायनिक उर्वरक या कीटनाशक का उपयोग नहीं किया जाता है।
- कोल्ड-प्रेस्ड तेल: इसे कम तापमान पर निकाला जाता है ताकि इसके पोषक तत्व संरक्षित रहें।
- रिफाइंड तेल या मौत का तेल: उपर्युक्त किसी भी प्रक्रिया से प्राप्त तेल को विभिन्न रासायनिक प्रक्रिया से रिफायन करके बनाया गया तेल, यह सस्ता होने के कारन सबसे ज्यादा बिकता है किन्तु ये जहर है इसलिए आयुर्वेदा में इसे मौत का तेल भी कहा जाता है
उपर्युक्त सभी कैटेगरी में आपके एरिया के अनुसार निम्न तेल उपलब्ध हो सकते हैं:-
- सरसों का तेल
- वनस्पति तेल
- मक्का का तेल
- सूर्यमुखी का तेल
- जैतून का तेल
- नारियल का तेल
- तिल का तेल
- बादाम का तेल
- मूंगफली का तेल
तेल का चयन: आप जहाँ पर रहते हैं उस एरिया में सर्वाधिक रूप से उत्पन्न होने वाले तिलहनों की फसल का तेल उस एरिया विशेष के लोगों के लिए सबसे ज्यादा उपयोगी है। जैसे महाराष्ट्र में मूंगफली का तेल, उत्तर भारत में तिल या सरसों का तेल, दक्षिण भारत में नारियल का तेल आदि। इसलिए हमेशा
- स्वास्थ्यवर्धक विकल्प चुनें
- मूल्य के अनुसार चुनें, सस्ते रिफायंड का विकल्प न चुनें
- गुणवत्ता के अनुसार चुनें
- तेल की शेल्फ लाइफ की जांच करें
- तेल को सही तरीके से स्टोर करें
- पैकेजिंग: तेल की पैकेजिंग अच्छी होनी चाहिए, जिसमें तेल की जानकारी और एक्सपायरी डेट होनी चाहिए।
- रंग और सुगंध: तेल का रंग और सुगंध सामान्य होना चाहिए। यदि तेल का रंग या सुगंध असामान्य है, तो यह खराब हो सकता है।
- शुद्धता: तेल की शुद्धता की जांच करें। यदि तेल में अशुद्धियाँ हैं, तो यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
- एक्सपायरी डेट: तेल की एक्सपायरी डेट की जांच करें। यदि तेल की एक्सपायरी डेट समाप्त हो गई है, तो यह उपयोग करने के लिए सुरक्षित नहीं है। हालाँकि कोल्ड प्रेस्ड घानी से निकाले गए तेल को यदि सही तरह से स्टोर किया जाये तो इसके लिए सेल्फ – लाइफ की बाध्यता नहीं होती है।
- प्रमाणीकरण: तेल के प्रमाणीकरण की जांच करें। यदि तेल का प्रमाणीकरण नहीं है, तो यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
- उत्पादक: तेल के उत्पादक की जांच करें। यदि उत्पादक विश्वसनीय नहीं है, तो तेल की गुणवत्ता खराब हो सकती है।
- प्रयोगशाला परीक्षण: तेल का प्रयोगशाला परीक्षण कराएं। यह तेल की गुणवत्ता की जांच करने का सबसे अच्छा तरीका है।
- तापमान परीक्षण: तेल को एक साफ ग्लास में डालें और उसे फ्रिज में रखें। यदि तेल जम जाता है, तो यह खराब हो सकता है।
- पानी परीक्षण: तेल को एक साफ ग्लास में डालें और उसमें पानी मिलाएं। यदि तेल पानी में मिल जाता है, तो यह खराब हो सकता है।
शुद्ध तेल के क्या – क्या फायदे हैं ?
यदि हम शुद्ध तेल का चयन करने में सफल हो जाते हैं तो हमें इसके उपयोग से विभिन्न फायदे मिल सकते हैं। कुछ फायदे इस ब्लॉग के माध्यम से आपको बताने का प्रयास करूँगा। शुद्ध तेल हमें:-
- स्वास्थ्यवर्धक फैटी एसिड प्रदान करता है और पाचन में मदद करता है।
- सूजन कम करता है और मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द को कम करता है एवं मांसपेशियों की वृद्धि को बढ़ावा देता है।
- हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।
- त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद होता है, जैसे कि बालों के झड़ने को रोकता है और इन्हें मजबूत एवं चमकदार बनाता है, और त्वचा की समस्याओं जैसे एक्जिमा और सोरायसिस आदि को दूर करता है
- प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और तंत्रिका तंत्र के लिए फायदेमंद होता है।
- कैंसर के जोखिम को कम करता है।
- उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करता है।
- स्वस्थ वजन बनाए रखने में मदद करता है और शारीरिक प्रदर्शन को बेहतर बनाता है।
- त्वचा को हाइड्रेटेड रखता है।
- मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।
- हड्डियों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
- नींद की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है और सिरदर्द और माइग्रेन को कम करता है।
- विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालता है।
- त्वचा को सूरज की किरणों से बचाता है।
अशुद्ध तेल के चयन के नुकसान
यदि हम बिना समझदारी के कोई भी तेल इस्तेमाल के लिए लेकर आते हैं तो हमें बहुत से नुकसान हो सकते हैं। तेल के कुछ साइड इफेक्ट्स यहाँ लेन का प्रयास करूँगा :-
- वजन बढ़ाने का कारण: तेल में उच्च कैलोरी होती है, जो वजन बढ़ाने का कारण बन सकती है।
- हृदय रोगों का कारण: तेल में उच्च संतृप्त वसा होती है, जो हृदय रोगों का कारण बन सकती है।
- पाचन समस्याएं: तेल पाचन समस्याएं पैदा कर सकता है, जैसे कि पेट दर्द, दस्त, और कब्ज।
- त्वचा समस्याएं पैदा करता है: तेल त्वचा समस्याएं पैदा कर सकता है, जैसे कि मुँहासे, एक्जिमा, और सोरायसिस।
- बालों को नुकसान पहुंचाता है: तेल बालों को नुकसान पहुंचा सकता है, जैसे कि बालों का झड़ना, बालों का रुखापन, और बालों का टूटना।
- मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: तेल मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकता है, जैसे कि तनाव, चिंता, और अवसाद।
- लीवर को नुकसान: तेल लीवर को नुकसान पहुंचा सकता है, जैसे कि लीवर की सूजन और लीवर की क्षति।
- किडनी को नुकसान: तेल किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है, जैसे कि किडनी की सूजन और किडनी की क्षति।
- हड्डियों को नुकसान: तेल हड्डियों को नुकसान पहुंचा सकता है, जैसे कि हड्डियों का कमजोर होना और हड्डियों का टूटना।
- शरीर को नुकसान: तेल शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है, जैसे कि शरीर का विषाक्त होना और शरीर की क्षति।