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वात के रोग क्या है और क्यों होते हैं इनकी पहचान और नियंत्रण

हमारा शरीर पंचतत्वों से मिलकर बना है जिन्हें अग्नि, वायु, पृथ्वी, जल और आकाश कहा जाता है। इन पंचतत्वों में से वायु और आकाश तत्व वायु दोष के कारक हैं। चरक संहिता के अनुसार वायु दोष ही शरीर में पाचक अग्नि बढ़ाता है। इसका मुख्य स्थान पेट और आंत में है। शरीर में प्राण, अपान, व्यान, उदान और समान ये पांच प्रकार के वात होते हैं जो कि वात के कामों के आधार पर किया गया विभाजन है। वात प्रवृत्ति के कुछ गुण होते हैं जैसे रूखापन, शीतलता, लघुता, सूक्ष्मता, चंचलता, चिपचिपाहट से रहित और खुरदुरापन। जब वात संतुलित अवस्था में रहता है तो हम इन गुणों की पहचान नहीं कर सकते हैं। लेकिन वात के असंतुलित होते ही इन गुणों के लक्षण नजर आने लगेंगे। सामान्यतः वेगों को रोक कर रखना यानि मल-मूत्र या छींक को रोककर रखना, भोजन के पचने से पहले ही कुछ और खा लेना और अधिक मात्रा में खाना, रात को देर तक जागना, तेज बोलना, अपनी क्षमता से ज्यादा मेहनत करना, सफ़र के दौरान गाड़ी में तेज झटके लगना, तीखी और कडवी चीजों का अधिक सेवन, बहुत ज्यादा ड्राई फ्रूट्स खाना, हमेशा चिंता में या मानसिक परेशानी में रहना, ज्यादा सेक्स करना, ज्यादा ठंडी चीजें खाना और जरुरत से ज्यादा व्रत रखना आदि वात अनबैलेंस होने के मुख्य कारण हैं।

वात प्रकृति के लोगों की पहचान कैसे करें:-

वात दोष के गुणों के आधार पर ही वात प्रकृति के लक्षण नजर आते हैं. जैस कि रूखापन गुण होने के कारण भारी आवाज, नींद में कमी, दुबलापन और त्वचा में रूखापन जैसे लक्षण होते हैं। शीतलता गुण के कारण ठंडी चीजों को सहन ना कर पाना, जाड़ों में होने वाले रोगों की चपेट में जल्दी आना, शरीर कांपना जैसे लक्षण होते हैं। लघुता गुण के कारण शरीर में हल्कापन, तेज चलने में लड़खड़ाने जैसे लक्षण होते हैं। इसी तरह सिर के बालों, नाखूनों, दांत, मुंह और हाथों पैरों में रूखापन भी वात प्रकृति वाले लोगों के लक्षण हैं। स्वभाव की बात की जाए तो वात प्रकृति वाले लोग बहुत जल्दी कोई निर्णय लेते हैं। बहुत जल्दी गुस्सा होना या चिढ़ जाना और बातों को जल्दी समझकर फिर भूल जाना भी इस प्रकृति वाले लोगों के स्वभाव में होता है।

वात बिगड़ने से बचाने के लिए खान- पान

हम अपने नियमित भोजन में बदलाव करने से वात को बिगड़ने से बचा सकते हैं। शाम के समय में या रात को पत्तागोभी, फूलगोभी, ब्रोकली, द्विदल वाली दालें, दही या छाछ, भारी अनाज, राईस आदि के सेवन करने से बचें। सूर्यास्त के बाद किसी भी तरह की ठंडी चीजों का सेवन ना करें। यदि वात अनबैलेंस हो चुका है और उसके लक्षण साफ़ दिखाई दे रहे हैं तो मार्केट से किसी भी आयुर्वेदिक स्टोर से 1:2:3 का त्रिफला चूर्ण या त्रिफला जूस लेकर आएं और सुबह-शाम खाली पेट उसका गरम पानी या गुड़ के साथ सेवन करें। आप ये उत्पाद हमारी वेबसाइट पर क्लिक करके घर बैठे ऑनलाइन आर्डर करके भी मंगा सकते हैं। किसी विशिष्ट बीमारी के आयुर्वेदिक समाधान के लिए हमारे चिकित्स्कों से 9765556511 पर संपर्क किया जा सकता है। प्रकृत्ति के सिद्धांतों के विरुद्ध काम करने से या कभी भी कुछ भी खाते रहने से वात बैलेंस नहीं हो पाता है इसलिए कभी भी कुछ भी खाने से बचें। वॉलीवूड अभिनेता अक्षय कुमार जी के एक इंटरव्यू में मैंने देखा कि वो बता रहे थे की वे रात के 10 बजे सो जाते हैं सुबह 4 बजे उठते हैं, दारू नहीं पीते, पार्टियों में नहीं जाते और एक संयमित जीवन जीते हैं। उनका खान -पान काफी संयमित है। सोचिये एक करोड़पति अभिनेता इतना संयम से जीता है लेकिन हम जिनके पास इतना पैसा नहीं की फालतू उड़ाया जाय फिर भी हम लाइफस्टाइल को बिगड़ने वाली चीजों के पीछे पड़े रहते हैं। प्रकृत्ति के उलट दिशा में जाके जिंदगी जीते हैं और अपनी जिंदगी भर की मेहनत की कमाई इन बढ़े-बढ़े हॉस्पिटलों को लुटाते हैं।

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